वैदिक एवं तांत्रिक मंत्र अर्थ, महत्व और 100% लाभ

वैदिक एवं तांत्रिक मंत्र अर्थ, महत्व और 100% लाभ

वैदिक एवं तांत्रिक मंत्र अर्थ, महत्व और 100% लाभ
वैदिक एवं तांत्रिक मंत्र अर्थ, महत्व और 100% लाभ

गायत्री मंत्र: अर्थ, महत्व और लाभ

गायत्री मंत्र इसे महान ऋषि विश्वामित्र ने लिखा था। गायत्री मंत्र में चौबीस अक्षर हैं, जो आठ अक्षरों के त्रिक के अंदर व्यवस्थित हैं।
 गायत्री मंत्र में रीढ़ की 24 कशेरुकाओं के अनुरूप 24 अक्षर होते हैं। जिस तरह रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर को सहारा और स्थिरता प्रदान करती है। इसी प्रकार गायत्री मंत्र हमारी बुद्धि में स्थिरता लाता है। गायत्री मंत्र के प्रभावों को हम अच्छी तरह समझते हैं।गायत्री मंत्र चेतना की तीनों अवस्थाओं को प्रभावित करता है, जागृत (जागना), सुषुप्त (गहरी नींद) और स्वप्न (सपना)। यह अस्तित्व की तीन परतों आध्यात्मिक (आध्यात्मिक), आदि दैविक (अलौकिक) और अधिभूतिका (आध्यात्मिक) को प्रभावित करने के लिए भी जाना जाता है।
गायत्री मंत्र को सामान्य रूप में गायत्री के नाम से जाना जाता है। उन्हें सावित्री और वेदमाता (वेदों की माता) के रूप में भी जाना जाता है। गायत्री को अक्सर वेदों में सौर देवता सावित्री के साथ जोड़ा जाता है। स्कंद पुराण जैसे कई ग्रंथों के अनुसार, सरस्वती या उनके रूप का दूसरा नाम गायत्री है और भगवान ब्रह्मा की पत्नी हैं। वेद माता के रूप में वह चार वेदों, ऋग्, साम, यजुर और अथर्व को जन्म देती हैं।
अन्य ग्रंथों में विशेष रूप से शैव, महागायत्री शिव की पत्नी हैं और उनके साथ उनके उच्चतम रूप सदाशिव में हैं। गौतम ऋषि को देवी गायत्री का आशीर्वाद प्राप्त था इसलिए वह अपने जीवन में आई हर बाधाओं को दूर करने में सक्षम थे, इसे गायत्री मंत्र की उत्पत्ति के पीछे की कहानी के रूप में भी जाना जाता है।
वराह पुराण और महाभारत के अनुसार, देवी गायत्री ने नवमी के दिन दानव वेत्रासुर, वृत्रा और वेत्रावती नदी का पुत्र, का वध किया था। इसलिए गायत्री मंत्र को अच्छे के रास्ते से आसुरी बाधाओं को दूर करने के लिए भी जाना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार गायत्री का विवाह ब्रह्मा से हुआ, जिससे वह सरस्वती का रूप बन गईं।
गायत्री मंत्र: वे कैसे मदद करते हैं?
ओम्’ एक शब्दांश है जिसका अर्थ है सिर्फ एक शब्दांश में समूचा ब्रह्म या ब्रह्मांड। ‘भूर’, ‘भुव:’ और ‘स्वः’ व्याहृति कहलाते हैं। व्याहृति वह है जो संपूर्ण ब्रह्मांड का ज्ञान देती है, उनका अर्थ क्रमशः ‘अतीत’, ‘वर्तमान’ और ‘भविष्य’ है।
संक्षेप में, मंत्र का अर्थ है: ‘हे निरपेक्ष अस्तित्व, तीन आयामों के निर्माता, सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, वह परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।’
इसका सीधा सा अर्थ है, ‘हे देवी माँ, हम गहरे अंधकार में हैं। कृपया इस अंधकार को हमसे दूर करें और हमारे अंदर रोशनी का प्रकाश जलाएं।’ ‘तत्’ का शाब्दिक अर्थ है ‘वह’। यह सर्वोच्च और परम वास्तविकता की ओर इशारा करता है।
गायत्री मंत्र हमें बहुत कुछ सीखने में मदद करता है, जिसकी मदद से जीवन में सफलता मिलना सहज हो जाता है। ग्रंथों से पता चलता है कि जब कोई व्यक्ति गायत्री मंत्र का जाप ध्यान से करता है, तो उसका हृदय शुद्ध हो जाता है। यदि यह मंत्र हमारे मन-मस्तिष्क में समा जाए, तो रोजमर्रा के जीवन में भले हमारे सामने कई कठिनाईयां आती रहें, फिर भी हम खुद को शांत और स्थिर रखने में सफल हो जाएंगे। इस मंत्र की बदौलत परमात्मा हमारा मार्गदर्शन करेंगे, हमें शांति और ज्ञान देंगे।
गायत्री मंत्र का जाप कैसे करें
गायत्री मंत्र जीवन को बेहतर बनाने वाली प्रार्थना है। प्राचीन ग्रंथों में लिखित है कि गायत्री मंत्र को प्रतिदिन 10 बार जपने से इस जीवन के पाप दूर हो जाते हैं, प्रतिदिन 100 बार इसका उच्चारण करने से आपके पिछले जन्म के पाप दूर हो जाते हैं, और प्रतिदिन 1000 बार इस मंत्र का जाप करने से तीन युगों (असंख्य जीवन) के पापों का नाश होता है।
यूं तो गायत्री मंत्र का जाप दिन के किसी भी समय किया जा सकता है, इसके बावजूद गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। इनका पालन अवश्य किया जाना चाहिए। परंपरागत रूप से, यह उपनयन संस्कार के दौरान एक पिता से पुत्र को पारित किया गया था। यदि यह मंत्र किसी अन्य व्यक्ति के मुख से सुन लिया जाए, तो स्वयं इसे दोहराने से बचना चाहिए।
इस मंत्र का उच्चारण जोर आवाज में किए बजाय मन में किया जाना चाहिए। इससे इसका प्रभावशाली फल जातक को मिलता है।
यदि आपको किसी तरह की शारीरिक-मानसिक समस्या नहीं है और सुबह ब्रह्म मुहुर्त में उठने में आपको कोई समस्या नहीं है, तो सुबह ब्रह्म मुहुर्त 3:30 – 4:30 बजे उठकर गायत्री मंत्र का उच्चारण किया जाना चाहिए।
अगर आपको लगता है कि ब्रह्म मुहुर्त के समय उठना आपके लिए संभव नहीं है, तो सूर्योदय, दोपहर और सूर्यास्त भी शुभ मुहूर्त हैं। यदि आप दिन में केवल एक बार इस मंत्र का जाप कर सकते हैं तो प्रत्येक सप्ताह शुक्रवार इसके लिए सबसे शुभ होता है।
गायत्री मंत्र का जप शुरू करने से पहले प्राणायाम अवस्था में बैठें। अपनी सांस की गति को नियंत्रित करें। इसके बाद गायत्री मंत्र का जाप करें।
इस मंत्र का जाप उगते सूरज के सामने पूर्व की ओर मुख करके किया जाना चाहिए और शाम को पश्चिम की ओर यानी डूबते सूरज की ओर मुंह करके किया जाना चाहिए।
गायत्री मंत्र का जाप कभी जल्दबाजी में नहीं किया जाना चाहिए। इसका जप करते समय, प्रत्येक पंक्ति के अंत में और प्रत्येक पुनरावृत्ति के अंत में थोड़ा रुकें।
वैसे तो गायत्री मंत्र को कम से कम तीन बार पुनरावृत्ति की सलाह दी जाती है। आप चाहें तो इससे ज्यादा बार भी इसे दोहरा सकते हैं।
परंपरागत रूप से, गायत्री मंत्र को मन में उच्चारित किया जाता है। आप चाहें तो इसे मंद स्वर में भी दोहरा सकते हैं।
यदि किसी कारणवश आप इस मंत्र का जाप सूर्योदय के सामने नहीं कर पा रहे हैं, तो इस मंत्र का जाप करते समय आपको अपने मन में सूर्योदय या समूचे ब्रह्मांड में बिखर रही सूर्य की किरणों के बारे में सोचना चाहिए। ऐसा आप तभी कर पाएंगे, जब अपने मन पर आपका पूरा नियंत्रण होगा। इस तरह सूर्य का प्रकाश आपके मन में समाहित होगा और आपको इस मंत्र का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
महत्वपूर्ण गायत्री मंत्र
1.गायत्री मंत्र
गायत्री मंत्र है:
|| ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यम
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात् ||
अर्थ- हे दिव्य माता, हमारे भीतर अंधकार भर गया है। कृपया इस अंधेरे को दूर कर हमारे जीवन में रोशनी भरो।
गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त के दौरान
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें रोजाना 10, 100, या 1000 बार
गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस और मुख करके जाप करें सूरज के सामने
2.सरस्वती गायत्री मंत्र
सरस्वती गायत्री विशेष रूप से देवी सरस्वती की पूजा करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है। सामान्यत: इस मंत्र का जाप वसंत पंचमी के दिन करना शुभ माना जाता है। यह लोगों को शिक्षा, कला और अन्य रचनात्मक क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करता है। इसके अलावा, ज्ञानवर्धन के लिए इस मंत्र का जप किया जाता है। विद्यार्थियों के लिए यह गायत्री मंत्र बहुत सहायक होता है। यह छात्रों को शांत रखता है। साथ ही छात्रो के मन को मजबूत बनाता है ताकि वह किसी भी तरह की अड़चनों का सामना करन सकें और खुद को मजबूत बना सकें। इसके अलावा, सरस्वती गायत्री मंत्र छात्रों की क्षमताओं में विस्तार करता है।
सरस्वती गायत्री मंत्र है:
॥ ॐ सरस्वत्यै विद्महे, ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मुझे मां सरस्वती का ध्यान करने दो। हे ब्रह्मदेव की पत्नी, मुझे उच्च बुद्धि दो। मेरे मन को प्रकाशित करो।
सरस्वती गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय सुबह
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें 21 दिनों के लिए 64 बार
सरस्वती गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके जाप करें पूर्व दिशा
3.गणेश गायत्री मंत्र
भगवान गणेश नई शुरुआत और जीवन से बाधाओं को दूर करने के लिए जाने जाते हैं। विनायक देव गायत्री मंत्र के कई लाभ हैं। इसलिए, इस मंत्र का नियमित जाप करने से लोगों को सिद्धि प्राप्त होती है। किए गए कार्य में सफलता भी मिलती है। गणेश चतुर्थी या संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने के लिए गणेश गायत्री मंत्र का उपयोग किया जाता है। जब आप इस गायत्री मंत्र का जाप करते हैं, तो यह आपको धर्म के पथ पर चलने में मदद करता है। आपके द्वारा किए गए कार्यों में जीत हासिल करने में भी सहायक है। इसके अलावा, वैदिक ज्योतिष में इस मंत्र का जाप करने से जीवन से बाधाएं दूर हो जाती हैं।
गणेश गायत्री मंत्र है:
॥ ॐ लम्बोदराय विद्महे महोदराय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्॥
अर्थ- भगवान गणेश, जिनका उदर बड़ा है, को मैं नमन करता हूं। हे भगवान मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
॥ ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
अर्थ- मुझे एक दंत वाले भगवान का ध्यान करने दो। हे एक दंत वाले प्रभु, आप मुझे ज्ञान दो और मेरे मन को रोशन करो।
॥ ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं महापुरुष रूपी गणेश के सामने नतमस्तक हूं। हे प्रभुत आप मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
गणेश गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय सुबह और/या शाम
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें 51 दिनों के लिए, दिन में 108 बार
गणेश गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें गणेशजी की मूर्ति के सामने
4.शिव गायत्री मंत्र
शिव गायत्री मंत्र को सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और मन की शांति प्राप्त होती है। इस मंत्र के माध्यम से जातक अपने कुकर्मों के लिए भगवान शिव से क्षमा याचना करता है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से जीवन से सभी समस्याएं दूर होती हैं। इसके साथ ही ज्योतिष में इस मंत्र का जाप करने से मृत्यु का भय कम होता है। यह लोगों के जीवन में समृद्धि लाता है और लंबे समय तक बीमारियों से मुक्त रखता है। शिव का यह मंत्र आपको मजबूत और आत्मविश्वासी बनाता है। साथ ही आपको आंतरिक शक्ति और ऊर्जा प्रदान करता है।
शिव गायत्री मंत्र है:
॥ ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं भगवान शिव को नमन करता हूं। हे महादेव, मुझे बुद्धि दो और भगवान रूद्र मेरे मन को रोशन करें।
शिव गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय सुबह शाम
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें 9, 11, 51, 108, या 1008 बार
शिव गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें भगवान शिव की मूर्ति
5.ब्रह्म गायत्री मंत्र
वैदिक ज्योतिष में भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है। ब्रह्म गायत्री मंत्र उन लोगों के लिए है जो ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं और चीजों की असलियत के बारे में जानने के इच्छुक होते हैं। यदि आप नियमित रूप से इस मंत्र का पाठ करते हैं, तो इससे आपकी रचनात्मकता में वृद्धि होगी, मानसिक रूप से सक्रिय बनेंगे और उत्पादकता में वृद्धि होगी। चूंकि ब्रह्मा सभी के निर्माता हैं, ऐसे में जो लोग इस गायत्री मंत्र का प्रतिदिन पाठ करते हैं, वे वाक सिद्धि में बेहतर होते हैं। इसके अलावा इस मंत्र के जाप से रचनात्मकता बढ़ती है और प्रतिभा सुधरती है। यह मंत्र विशेषकर वकीलों, लेखकों, शिक्षकों जैसे पेशों से संबंधित लोगों के लिए है।
ब्रह्म गायत्री मंत्र है:
॥ ॐ चतुर्मुखाय विद्महे हंसारूढाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्॥
अर्थ- मैं भगवान ब्रह्मा को नमन करता हूं, जिसके चार मुख हैं। हंस पर सवार हे प्रभु मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
॥ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥
अर्थ- मैं वेदों के आत्मा के सामने नतमस्तक हूं। प्रभु, जिसके भीतर पूरी दुनिया समाई हैं, मैं आपके समक्ष याचना करता हूं मुझे बुद्धि दो और मेरे जीवन को प्रकाशित करो।
ब्रह्म गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय सूर्योदय, दोपहर और सूर्यास्त
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें 21 दिनों के लिए एक मिनट में 36 और 62 बार
ब्रह्म गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें भगवान ब्रह्मा की मूर्ति के सामने
6.लक्ष्मी गायत्री मंत्र
महालक्ष्मी या लक्ष्मी गायत्री मंत्र का उच्चारण सौभाग्य, समृद्धि और सुंदरता के लिए किया जाता है। इस मंत्र का नियमित उच्चारण करने से जातक को आजीवन ऊर्जावान बना रहेगा और उसे शक्ति प्राप्त होगी। आमतौर ज्योतिषी इसे विलासिता, सफलता और समाज में मान-प्रतिष्ठा कायम रखने के लिए उच्चारित करते हैं। देवी लक्ष्मी की प्रार्थना से जातक का आत्मविश्वास प्रबल होता है। मां लक्ष्मी की प्रार्थना करने के लिए विभिन्न भजन गाए जाते हैं। लेकिन इन सबमें सबसे शक्तिशाली लक्ष्मी गायत्री मंत्र है। प्रतिदिन इस मंत्र का उच्चारण करन से तन-मन स्वस्थ रहता है और कई लाभ भी मिलते हैं।
लक्ष्मी गायत्री मंत्र है:
॥ ॐ महादेव्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्॥
अर्थ- मैं महादेवी के सामने नमन करता हूं। हे भगवान विष्णु की पत्नी, मुझे बुद्धि दो और मां लक्ष्मी मेरे मन को रोशन करो।
लक्ष्मी गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय सुबह
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें एक दिन में 108 × 3 बार
लक्ष्मी गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें देवी लक्ष्मी की मूर्ति के सामने
7.दुर्गा गायत्री मंत्र
दुर्गा गायत्री मंत्र, एक शक्तिशाली मंत्र है। इस मंत्र का उपयोग मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस मंत्र का जाप उन लोगों के लिए अच्छा है जो अपने डर से मुक्त होना चाहते हैं। इस मंत्र से आत्मविश्वास बढ़ता है। दुर्गा गायत्री मंत्र बुद्धि और शांति के साथ-साथ समृद्धि और सौभाग्य भी लाता है। नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करने से जीवन की परेशानियां और मानसिक समस्याएं दूर होती हैं। यह अच्छे चरित्र और दोषों से मुक्त जीवन के लिए भी उत्तरदायी है। ऐसे में आप इस मंत्र का रोजाना जाप करें। इससे बेहतर इंसान बनने में भी मिलती है। इसके अलावा, यह आपकी जिंदगी की नकारात्मकताओं को दूर कर जीवन को खुशहाल करता है। जब लोग नियमित रूप से दुर्गा गायत्री मंत्र का जाप करते हैं, तो आत्मविश्वास प्रबल होता है, आंतरिक विश्वास बढ़ता है और अंदर से मजबूती का अहसास होता है।
दुर्गा गायत्री मंत्र है:
॥ ॐ कात्यायन्यै विद्महे, कन्याकुमार्ये च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्॥
अर्थ- कात्यायन की पुत्री को मेरा नमन। मां देवी दुर्गा मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
दुर्गा गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय मंगलवार और शुक्रवार को
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें 9, 11,108, या 1008 बार
दुर्गा गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके जाप करें देवी दुर्गा की मूर्ति के सामने
8. हनुमान गायत्री मंत्र
हनुमान गायत्री मंत्र का जाप मन से डर को दूर भगाने के लिए किया जाता है। इस मंत्र का प्रतिदिन पाठ करने से मन मजबूत होता है। इस मंत्र की मदद से हम अधिक आत्मविश्वास के साथ जीवन में आई परेशानियों और बाधाओं को दूर कर सकते हैं। इसके साथ ही यह मंत्र आपको जीवन में हर परिस्थिति में सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है। यह गायत्री मंत्र जीवन में बुद्धि, निष्ठा और साहस को भी आकर्षित करता है। यह व्यक्ति को नकारात्मक विचारों से दूर रखता है और उन्हें सही मार्ग की ओर ले जाता है। जो जातक इस मंत्र का संपूर्ण श्रद्धाभाव से जप करते हैं, वे ज्ञाता बनते हैं और जीवन में बेहतरी के लिए उनके समक्ष कई मार्ग खुल जाते हैं। यही नहीं, इस मंत्र के सहयोग से जातक का धैर्य बढ़ता है, जीवन में ध्यान केंद्रित करने में सफल होता है और वह अनुशासन प्रिय हो जाता है।
हनुमान गायत्री मंत्र है:
॥ ॐ आञ्जनेयाय विद्महे महाबलाय धीमहि तन्नो हनूमान् प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं अंजना पुत्र को नमन करता हूं। बलशाली हनुमान मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को प्रकाशित करो।
हनुमान गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय मंगलवार और शनिवार
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें 11, 108, या 1008 बार
हनुमान गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके जाप करें भगवान हनुमान की मूर्ति के सामने
नवग्रह के लिए गायत्री मंत्र
1.आदित्य गायत्री मंत्र
आदित्य गायत्री मंत्र या सूर्य गायत्री मंत्र, सूर्य देव को समर्पित एक शक्तिशाली ध्यान मंत्र है। यह व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह के दुष्प्रभाव को दूर करता है। इसलिए, यदि आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। इससे आपकी कुंडली का सूर्य मजबूत बनेगा और आपको उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा। जो लोग इस मंत्र का नियमित उच्चारण करते हैं, उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही, संपूर्ण श्रद्धा भाव से इस मंत्र का जाप करने से जीवन में एकाग्रता बढ़ती है। यह मंत्र स्वास्थ्य, समृद्धि और धन में भी वृद्धि करता है। इसके अलावा, जब आप इस गायत्री मंत्र का पाठ करते हैं, तो आपकी आंखों की रोशनी अच्छी होती है और त्वचा संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
आदित्य गायत्री मंत्र है:
॥ ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्॥
अर्थ- मैं सूर्य देवता को नमन करता हूं। हे प्रभु, दिन के निर्माता, मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
॥ ॐ अश्वध्वजाय विद्महे पाशहस्ताय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्॥
अर्थ- मैं उस देवता को नमन करता हूं, जिसके ध्वज में घोड़ा बना हुआ है। हे प्रभु मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
आदित्य गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त या सूर्य होरा
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें दिन में 108 बार
आदित्य गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें पूर्व दिशा की ओर
2.चंद्र गायत्री मंत्र
चंद्र गायत्री मंत्र जातक को सुंदर बनता है और समाज में उसकी प्रतिष्ठा को बेहतर करता है। यह मंत्र लोगों को बेहतर मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त करने में मदद करता है, व्यक्ति को साहसी बनाता है और उसमें आत्मविश्वास को बलवती करता है ताकि जातक किसी भी तरह की समस्या से निपटने के लिए खुद को तैयार कर सके। इस मंत्र के माध्यम से जातक जीवन में प्रगति प्राप्त कर सकता है। साथ ही परेशानी से दूर होकर तनावमुक्त जीवन जी सकता है। अत: इस मंत्र का नियमित रूप से उच्चारण करना चाहिए। यह त्वचा संबंधित बीमारियों को दूर करने में भी मदद करता है। इस गायत्री मंत्र के नियमित जाप से आप स्वभाव से सहनशील, भावुक बनते हैं। साथ ही आपको अपने जीवन पर गर्व होता है।
चंद्र गायत्री मंत्र है:
॥ ॐ क्षीर पुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहि तन्नो चंद्र: प्रचोदयात्॥
अर्थ- मुझे दूध के पुत्र को नमन करता हूं। अमृत ​​का सार, मुझे बुद्धि दो और हे प्रभु चंद्रमा मेरे मन को रोशन करो।
॥ ॐ पद्मद्वाजय विद्महे हेम रूपायै धीमहि तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात्॥
अर्थ- मैं उस भगवान को नमन करता हूं, जिनके ध्वज में कमल है। सुनहरे रंग के भगवान चंद्रमा मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
चंद्र गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय शुक्ल पक्ष का सोमवार
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें 18 × 108 बार
चंद्र गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें उत्तर पश्चिम दिशा की ओर
3.अंगारक गायत्री मंत्र
मंगल गायत्री मंत्र लोगों को उनकी कुंडली में नकारात्मक या बीमार मंगल से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। आमतौर पर मंगल का प्रजनन क्षमता के साथ गहरा संबंध है। साथ ही यह साहस भी प्रदान करता है। अत: यदि आप आत्मविश्वासी बनना चाहते हैं, तो नियमित इस मंत्र का जाप करें। इसके अलावा, इस मंत्र की मदद से आप कई बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं। इस मंत्र को न्यूनतम 4-5 वर्षों तक नियमित जाप करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता के शिखर पर पहुंचने में भी मदद मिलती है। यह मंत्र न सिर्फ जातक की इच्छाओं और सहनशक्ति में सुधार करता, बल्कि दुर्घटना होने से पहले उसे टाल देता है। इस गायत्री मंत्र का नियमित जाप करने से शत्रुओं पर भी विजय हासिल कर सकते हैंं।
अंगारक गायत्री मंत्र है:
॥ ॐ वीरध्वजाय विद्महे विघ्नहस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं उस प्रभु को नमन करता हूं जिसके ध्वज में नायक बना है। मैं उस प्रभु के समक्ष नतमस्तक हूं जिसके पास सभी समस्याओं को हल करने की शक्ति है। हे भगवन मुझे बुद्धि दो, पृथ्वी के पुत्र मेरे मन को रोशन करो।
अंगारक गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय मंगलवार को सूर्योदय के समय
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें प्रतिदिन 11 माला
अंगारक मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें मंगल यंत्र के सामने
4.बुध गायत्री मंत्र
बातचीत के बेहतर कौशल और बुद्धि प्राप्त करने के लिए बुध गायत्री मंत्र का उच्चारण किया जाता है। ज्ञान के प्राप्त करने के इच्छुक लोगों को नियमित इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र की मदद से जीवन में संतुलन कायम होता है और रिश्तों में बेहतर सामंजस्य बैठाने में भी मदद करता है। वैदिक ज्योतिष में, यदि आप इस मंत्र का जाप करते हैं, तो आप अपने डर पर विजयी हासिल कर साहसी बन जाते हैं। साथ ही, आपको कई स्वास्थ्य समस्याओं का निवारण मिलता है। इस मंत्र का खासतौर पर आंखों से संबंधित बीमारियों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसके अला उच्च रक्तदाब और मधुमेह जैसी स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां भी इस मंत्र के उच्चारण से ठीक होती हैं। यदि आपकी कुण्डली में बुध कमजोर या अशुभ ग्रह है तो इस मंत्र का जाप करना आपके लिए सहायक सिद्ध हो सकता है।
बुद्ध गायत्री मंत्र है:
॥ ॐ गजध्वजाय विद्महे सुखहस्ताय धीमहि तन्नो बुधः प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं उसे नमन करता हूं, जिसके ध्वज में हाथी बना है। हे प्रभु मैं आपको नमन करता हूं, आपमें सबको सुख देने की शक्ति है, मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को प्रकाश्वान करो।
बुध गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय बुधवार को सुबह और सूर्यास्त के समय
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें 11 बार
बुध गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें बुध यंत्र के सामने
5.गुरु गायत्री मंत्र
बेहतर शिक्षा प्राप्त करने हेतु गुरु गायत्री मंत्र का उच्चारण किया जाता है। जो उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें नियमित इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र की मदद से विद्यार्थी का अध्ययन में मन लगता है और उसकी एकाग्र क्षमता बेहतर होती है। वैदिक ज्योतिष में यदि आप इस मंत्र का नियमित जाप करते हैं, तो आपकी दांपत्य जीवन बेहतर होता है और आपको अपने जीवन में संतुष्टि का अनुभव भी होता है। यही नहीं, संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। इसके अलावा यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर है, तो यह मंत्र उसे बेहतर करने में मदद करता है। बृहस्पति गायत्री मंत्र के साथ भगवान बृहस्पति की स्तुति करने से धन, संतान और समाज प्रतिष्ठा भी मिलती है।
गुरु गायत्री मंत्र है:
॥ ॐ वृषभध्वजाय विद्महे क्रुनिहस्ताय धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं गुरु ब्रहस्पती को नमन करता हूं। वह सभी देवताओं के गुरु हैं। आप मुझे बेहतर बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
गुरु गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय सुबह
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें 19,000
गुरु गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके जाप करें गुरु यंत्र के सामने
6.शुक्र गायत्री मंत्र
शुक्र गायत्री मंत्र जातक के कलात्मक क्षमताओं का विस्तार करता है। इस मंत्र की मदद से प्रजनन क्षमताएं बेहतर हेाती हैं और कई स्वास्थ्य समसयाएं जैसे गुर्दे संबंधी रोग दूर हो जाते हैं। ये आपको अपने क्षेत्र विशेष में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है और सौभाग्य भी प्रदान करता है। इसके अलावा, शुक्र गायत्री मंत्र व्यापार की प्रगति में सहायक है और यह कलत्र दोष (विवाह और वैवाहिक संबंधों में क्लेश का प्रतीक) को दूर करता है। इस मंत्र का नियमित जप करने से वैवाहिक जीवन सुखद और मधुर होता है। घरेलू जीवन शांत होता है और जीवनसाथी संग अच्छे तथा गहरे रिश्ते स्थापित होते हैं। यदि आपकी जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह अशुभ या कमजोर है, तो आपको इस मंत्र का नियमित उच्चारण करना चाहिए। यह मंत्र आपके लिए मददगार साबित होगा।
शुक्र गायत्री मंत्र है:
॥ ॐ अश्वध्वजाय विद्महे धनुर्हस्ताय धीमहि तन्नः शुक्रः प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं शुक्र देवता को नमन करता हूं। जिसके हाथ में धनुष है, मैं उस प्रभु के सामने नतमस्त हूं। हे भगवान आप मुझे उच्च बुद्धि दो और मेने मन को प्रकाशित करो।
शुक्र गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय शुक्रवार, जब शुक्र भरणी, पूर्वाफाल्गुनी या पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हो
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें 108 बार
शुक्र गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके जाप करें शुक्र यंत्र के सामने
7. शनिश्वर गायत्री मंत्र
शनि या शनिवार गायत्री मंत्र भगवान शनि की स्तुति करने और व्यक्ति के जन्म कुंडली में शनि ग्रह के हानिकारक प्रभावों से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है। यह लोगों को साढ़े साती के समय होने वाली समस्याओं से निजात पाने में मदद करता है। साथ ही लोगों के जीवन से दुखों और कष्टों को दूर करता है। यह लोगों को चिंता, तनाव और नकारात्मक ऊर्जा से दूर रखता है। अत: आपको नियमित शनि गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे आप पाप मुक्त हो जाते हैं, अस्थिर मन शांत हो जाता है और परेशानी जीवन से दूर भाग जाती है। शनि महादशा के दौरान भी इस मंत्र का जाप उन लोगों के लिए बेहद शुभ रहेगा जिनकी कुंडली में शनि कमजोर या अशुभ है।
शनिश्वर गायत्री मंत्र है:
॥ ॐ काकध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय धीमहि तन्नो मन्दः प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं शनि देव को नमन करता हूं। उनके ध्वज में काक बना है और हाथ में तलवार है। हे प्रभु मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को प्रकाशित करो।
शनिश्वर गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय प्रात: काल
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें दिन में 108 बार
शनिश्वर गायत्री मंत्र का पाठ कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें उत्तर पूर्व या पूर्व
8.राहु गायत्री मंत्र
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु ग्रह को प्रसन्न के लिए राहु गायत्री मंत्र का जप किया जाता है। जिन लोगों की कुंडली में काल सर्प दोष है, वे शुभ फल और आने वाले समय में बेहतरी के लिए इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। इसके साथ ही, यदि आप नियमित रूप से इस मंत्र का पाठ करते हैं, तो आप अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। राहु गायत्री मंत्र की मदद से शारीरिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही यह मंत्र उन लोगों के लिए सहायक है, जिन्हें जीवन में यकायक अवसर प्राप्त होते हैं। इसके अलावा जीवन से नकारत्मक ऊर्जा को निकाल बाहर करने के लिए यह मंत्र लाभदायक है। यदि आप इस राहु गायत्री मंत्र का नियमित जाप करते हैं, तो आपको अपने कार्यक्षेत्र में सफलता और धन की प्राप्ति हो सकती है। यह आपके भाग्य को उज्जवल करने में भी सहायक है।
राहु गायत्री मंत्र है:
॥ ॐ नाकध्वजाय विद्महे पद्महस्ताय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं राहु देव को नमन करता हूं। उनके हाथ में कमल और ध्वज में सांप बना है। हे प्रभु मुझे अच्छी बुद्धि दो और मेरे जीवन से अंधकार दूर कर रोशनी भरो।
राहु गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय रात के दौरान
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें 40 दिनों में 18,000 बार
राहु गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें उत्तर दिशा
9.केतु गायत्री मंत्र
वैदिक ज्योतिष में केतु गायत्री मंत्र उन लोगों के लिए है जिनके जीवन में केतु महादशा के कारण कठिनाईयां बढ़ गई हैं। केतु गायत्री मंत्र मानसिक स्थिति को बेहतर करने में मदद करता है। इस मंत्र की सहायता से कुंडली में केतु के सभी नकारात्मक प्रभावों को दूर किया जा सकता है। इसके साथ ही इस केतु गायत्री मंत्र की बदौलत आपमें साहस बढ़ता और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। इससे समाज में आपको प्रसिद्धि भी मिलती है। यही नहीं, इस मंत्र की मदद से आप असामयिक दुर्घटनाओं और बीमारियों से दूर रहते हैं। आपके आध्यात्मिक ज्ञान में भी अत्यधिक वृद्धि होती है। इसके अलावा केतु गायत्री मंत्र की वजह से आश्रमों और तंत्रों में भी आपकी गहरी रुचि विकसित होती है। वैदिक ज्योतिष में यह गायत्री मंत्र आपको प्रतिष्ठा और पद में हानि नहीं होने देता। आपको भौतिक धन प्राप्त करने में भी यह मंत्र मदद करता है।
केतु गायत्री मंत्र है:
॥ ॐ अश्वध्वजाय विद्महे शूलहस्ताय धीमहि तन्नः केतुः प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं भगवन केतु को नमन करता हूं। उनके ध्वज में घोड़ा बना है और उनके हाथ में त्रिशूल है। हे प्रभु आप मुझे उच्च बुद्धि दो और मेरे मन को प्रकाशित करो।
केतु गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय सूर्योदय के समय
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें 108 बार
केतु गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें केतु यंत्र
गायत्री मंत्र जाप के समग्र लाभ
गायत्री मंत्र एक ऐसी प्रार्थना है जिसका उद्देश्य बौद्धिकता को बढ़ावा देना है। यह मंत्र ज्ञानवर्धक है और जातक को ज्ञान प्राप्त करने की दिशा में जाने के लिए निर्देशित करता है। यह विशेष रूप से छात्रों और किसी भी प्रकार की शिक्षा लेने वाले लोगों के लिए है।
गायत्री मंत्र के जाप से उत्पन्न कंपन चेहरे की त्वचा को सुंदर बनाता है। चूंकि गायत्री मंत्र के उच्चारण के दौरान श्वास गति पर नियंत्रण रखना होता है, इस वजह से यह हमारे श्वास प्रणाली में पर्याप्त वायु का संचार करता है। नतीजतन रक्त वाहिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलता है, जिससे त्वचा सुंदर बनती है। इसके नियमित उच्चारण से चर्म रोग दूर होते हैं और त्वचा में कांतिमय बनती है।
श्वासगति को नियंत्रित करने वाले मंत्र का उच्चारण करने से पहले प्राणायाम अवस्था में बैठना बहुत जरूरी है। इस अवस्था में बैठने के बाद कुछ देर के लिए अपनी श्वास गति को नियंत्र करने की कोशिश करें। इससे आपके फेफड़े खुलते हैं, जो कि फेफड़े संबंधी रोों से दूर रखते हैं।
गायत्री मंत्र के निरंतर जाप करने से नकारात्मकता दूर होती, समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है और मन में अधिक सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं।
गायत्री मंत्र का जाप मस्तिष्क को उत्तेजित करता है। यह कोशिकाओं और दिमाग को सकारात्मक सोचने के लिए सक्रिय करता है। यह मन के आध्यात्मिक पहलू को ठीक करता है और तनावपूर्ण मन को शांत करने में उपयोगी है।
इस मंत्र के जाप से चिंता और तनाव भी दूर होता है। यह आज की दुनिया में विशेष रूप से आवश्यक है। दिनों दिन बदलती अर्थव्यवस्था की वजह से लोगों की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। इस मंत्र के उच्चारण से चिंता को नियंत्रण में किया जा सकता है।
गायत्री मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है। गायत्री मंत्र उच्चारण से ऐसा कंपन उत्पन्न होता है, जो शरीर में चक्रों को चक्रों से ऊर्जा के प्रवाह की अनुमति देता है। यही कारण है कि चिकित्सकों द्वारा अक्सर इस विधि का उपयोग किया जाता है।
गायत्री मंत्र के जाप से बुद्धि तीव्र होती है, सोचने की क्षमता बेहतर होती है। यह सूचनाओं को संग्रहीत करने में भी मदद करता है। कहीं जरूरत पड़ने पर इन संग्रहीत सूचनाओं को प्रभावी ढंग से दूसरों के सामने पेश करने में भी यह मंत्र उपयोगी है।
ऐसा कहा जाता है कि इससे समृद्धि आती है। गायत्री मंत्र का जाप देवी को प्रसन्न करता है। वह अपने भक्तों को नुकसान से बचाती है और उन्हें अच्छे स्वास्थ्य, धन और बुद्धि का आशीर्वाद देती है।
गायत्री मंत्र, किसी के ज्योतिषीय चार्ट से दोषों को दूर करने की शक्ति रखता है। कृपालु देवी अपने भक्तों के साथ बहुत विनम्र है। उनके पसंदीदा मंत्र के माध्यम उनके भक्तों को आजीवन सुखद फल प्राप्त हो सकते हैं।
गायत्री मंत्र के बारे में अधिक जानने के लिए आप हमारे ज्योतिषियों से बात कर सकते हैं।
महा मृत्युंजय मंत्र
महा मृत्युंजय मंत्र: अर्थ, महत्व और लाभ
महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya mantra) हिंदू धर्म के ऋग्वेद से है और इसे सबसे शक्तिशाली शिव मंत्र माना जाता है। इसे ॐ त्र्यम्बकं मंत्र भी कहा जाता है। यह मंत्र लंबी आयु देता है और अकाल मृत्यु को टालता है। साथ ही कठिन परिस्थितियों से भी बचाता है। इस मंत्र के जाप से भय खत्म होता है, क्योंकि यह आत्मा को शांत करता है और जातक को मजबूत बनाता है। महामृत्युंजय मंत्र के नियमित जाप से जातक सुरक्षित महसूस करता है।
यह भी माना जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya mantra) का जाप करने से शारीरिक बीमारियां कम होती हैं और शरीर स्वस्थ रहता है। हर धर्म में मंत्रों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। इसने समय की यात्रा की ताकि सबसे आधुनिक लोगों द्वारा इसका उपयोग किया जा सके। ये मंत्र भक्तों को शांति और सांत्वना देते हैं। हिंदू धर्म के लिए, मंत्र बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि उनका उपयोग हर धार्मिक अनुष्ठान में बड़े या छोटे आयोजनों के लिए किया जाता है।
महा मृत्युंजय मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र: उत्पत्ति और इतिहास (Mahamrityunjay Mantra: Origin and history in hindi)
ऋषि मृकंदु और मरुदमती दोनों भगवान शिव के भक्त थे। उन्होंने भगवान शिव की लंबी तपस्या की और वर्षों तक पुत्र की कामना की थी। भगवान शिव ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उनकी इच्छा पूर्ण की। लेकिन भगवान शिव ने उनके सामने एक शर्त रखी। शर्त के रूप में भगवान शिव ने उनके सामने दो विकल्प रखे। पहला विकल्प, उन्हें एक ऐसा बेटा होगा, जिसकी अल्पायु होगी मगर वह बुद्धिमान होगा। दूसरा विकल्प, उन्हें एक ऐसा बेटा होगा, जिसकी जिंदगी तो लंबी होगी पर वह कम बुद्धिमान होगा। ऋषि मृकंदु और मरुदमती ने पहले विकल्प को चुना। उनकी बेटे प्राप्ति की इच्छा पूर्ण हुई। हालांकि उन्हें यह सूचित कर दिया कि उनका पुत्र केवल सोलह वर्ष ही जीवित रहेगा। इस दंपति ने अपने पुत्र का नाम मार्कंडेय रखा, जो वह सब कुछ था, जिसकी ऋषि मृकंदु और मरुदमती ने इच्छा की थी। अपने पुत्र को सुखी जीवन देने के लिए ऋषि मृकंदु और मरुदमती ने उसके जीवनकाल के बारे में तथ्य को गुप्त रखने का फैसला किया। जब मार्कंडेय का 16वां जन्मदिन आया, तब उनके माता-पिता बेहद विचलित हो गए। वे दोनों बहुत दुखी हो गए। इतने दुखी के मार्कंडेय उनके दुख को समझ नहीं पाया। उसने अपने माता-पिता से उनके दुख का कारण पूछा तो ऋषि मृकंदु और मरुदमती ने उसे उसके भाग्य की पूरी कहानी बताई और यह भी कि उसका जन्म कैसे हुआ।
अपने जीवनकाल की पूरी कहानी सुनने के बाद मार्कंडेय ने भगवान शिव की तपस्या शुरू कर दी। जब यम उनकी आत्मा को लेने आए, तब उन्होंने शिवलिंग को गले से लगा लिया। मार्कंडेय की भक्ति और उनके प्रति प्रेम को देखकर भगवान शिव प्रकट हुए और यम को मार्कंडेय को छोड़ने का आदेश दिया। फिर उन्होंने मार्कंडेय को विशेष “महा मृत्युंजय मंत्र” दिया जो उन्हें लंबा जीवन जीने में मदद करेगा। मृत्यंजय मंत्र (Mahamrityunjaya mantra) से संबंधित कई अन्य कहानियां भी हैं। एक कहानी के अनुसार चंद्र देव ने राजा दक्ष की 27 बेटियों से विवाह किया था। लेकिन चंद्र देव उनकी बेटी रोहिणी का ही ज्यादा ध्यान रखते थे। इस कारण बाकी बेटियों को रोहिणी से ईर्ष्या होने लगी। वे अपनी इस शिकायत को अपने पिता के समक्ष ले गए। चिंतित पिता ने चंद्र देव को समझाया कि वे सबको बराबर स्नेह-प्यार दे। लेकिन चंद्र देव नहीं समझे। क्रोधित होकर उनके स्वसुर ने चंद्र देव को श्राप दिया कि उन्हें जिस रंग-रूप और तेज पर इतना अभिमान है, वह एक दिन खत्म हो जाएगा। इस श्राप से मुक्त होने के लिए चंद्र देव ने भगवान शिव की उपासना की। भगवान शिव उनकी उपासना से प्रसन्न हुए। उन्होंने चंद्रमा को दर्शन भी दिए। लेकिन उन्होंने चंद्रमा से कहा कि वह राजा दक्ष के द्वारा दिए गए श्राप को वह पूरी तरह विफल नहीं कर सकते। हालांकि इसके प्रभाव को कम अवश्य किया जा सकता है। तभी से चंद्र देव की चमक 15 में बढ़ती और घटती है।
मृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya mantra) को रुद्र मंत्र भी कहा जाता है, शिव के क्रोधी पहलू का जिक्र करते हुए, त्र्यम्बकं मंत्र, भगवान शिव की तीन आंखों का जिक्र करते हुए, और मृत-संजीवनी मंत्र, जो ऋषि शुक्राचार्य को दी गई ‘जीवन-पुनर्स्थापना’ का एक हिस्सा है। इस मंत्र का हिंदू वेदों में तीन बार उल्लेख किया गया है, ऋग्वेद (VII.59.12), यजुर्वेद (III.60), और अथर्ववेद (XIV.1.17)।
महामृत्युंजय मंत्र: वे कैसे मदद करते हैं (Mahamrityunjay Mantra: How do they help in hindi)
गायत्री मंत्रों की तरह, महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya mantra) हिंदुओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण और शक्तिशाली मंत्र है। यह मजबूत मंत्र भगवान शिव को समर्पित है। धार्मिक रूप से इस मंत्र का जप करने से बीमारी और मृत्यु का भय कम हो जाता है। महामृत्युंजय मंत्र का अस्तित्व सबसे पहले ऋग्वेद के माध्यम से खोजा गया था और ऋषि मार्कंडेय द्वारा मानव जाति के लिए इस मंत्र को लाया गया था।
माना जाता है कि इस मंत्र में विशेष शक्तियां हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा रखती है और भावनात्मक-शारीरिक संतुलन बनाए रखती है। इस मंत्र का जाप करने से एक प्रकार की अमरता भी प्राप्त होती है, जो दूसरे शब्दों में आयु को बढ़ाती है और अकाल मृत्यु की आकांक्षा को कम करती है।
विभिन्न कहानियां, महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya mantra) की कहानी और उसके बनने के तरीके को दर्शाती हैं। ऋषि मार्कंडेय की कहानी पर गौर करें तो उन्हें अल्पायु के लिए जीवन मिला था। लेकिन उन्होंने भगवान शिव की उपासना की और अपने भाग्य को बदल दिया। इसके बाद से महामृत्युंजय मंत्र को मृत्यु पर विजय प्राप्त के लिए जाना जाने लगा। इसी तरह राजा दक्ष द्वारा चंद्र देव को कैसे श्राप दिया गया था, और उनकी जान बचाने के लिए कैसे इस मंत्र का जाप किया गया था, यह भी लोकप्रिय कहानी है।
महामृत्युंजय मंत्र है:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
अर्थ-
ॐ : ओंकार के रूप में भगवान शिव
त्र्यम्बकं : आप तीन नेत्रों के साथ सुंदर हैं
यजामहे : हम आपकी पूजा करते हैं, हमारे जीवन को खुश रखें
सुगन्धिं : सुगंधित, हम अपकी भक्ति की सुगंध में हैं
पुष्टिवर्धनम्: खुशी बढ़ाएं
उर्वारुकमिव : जिस तरह से फल आसानी से
बन्धनान् : वृक्ष के बंधन से मुक्त होता है
मृत्यरोमुक्षीय : हमें मृत्यु के बंधन से मुक्त करें
मामृतात् : मुझे अमृत का दर्जा दो
“हम भगवान शिव की पूजा करते हैं। तीन आंखों वाले भगवान शिव सभी प्राणियों का पोषण करते हैं। आप हमें उसी प्रकार बंधन से मुक्त करें जिस तरह एक फल अपनी शाखा से अलग होता है ताकि हम अमरता को प्राप्त हो सकें।”
महा मृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का सबसे प्रिय मंत्र है। वह मृत्यु के विजेता हैं। इस मंत्र का ऋग्वेद में उल्लेख किया गया है, जो सबसे पुराने हिंदू मंत्रों में से है। इसका उल्लेख ऋग्वेद के सातवें मंडल के सूक्त 59 में मिलता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप कैसे करें (How to chant the Mahamrityunjaya Mantra in hindi)
रुद्राक्ष जपमाला की मदद से भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya mantra) का 108 बार जाप करें। मंत्र उच्चारण करते हुए शिवलिंग पर फूल चढ़ाएं और दूध से अभिषेक करें।
सर्वोत्तम परिणामों के लिए महामृत्युंजय मंत्र का 1.25 लाख बार जाप करने की सलाह दी जाती है। लेकिन इसे एक दिन में करना संभव नहीं है। इसलिए इस मंत्र का दिन में 1000 बार जाप करने का प्रयास करना चाहिए। इस प्रकार 125 दिन में कुल सवा लाख मंत्र का जाप पूरा हो जाएगा।
मंत्र का जाप प्रात:काल में ही करना चाहिए। दोपहर के समय इस मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।
भगवान शिव की कृपा पाने के लिए एक बर्तन में पानी रखकर संकल्प करें।
भगवान शिव को दीपम, जल, फूल, बेलपत्र, फल और अगरबत्ती अर्पित की जाती है और महामृत्युंजय मंत्र के पाठ के बाद हवन किया जाता है। मंत्र जाप के बाद हर बार हवन करना जरूरी नहीं है।
मंत्र के कर्ता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी मांसाहारी भोजन का सेवन न करें।
महामृत्युंजय मंत्र के जाप के समग्र लाभ (Overall benefits of chanting the Mahamrityunjaya mantra in hindi)
मृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya mantra) के नियमित जाप से व्यक्ति अपने परिवार की रक्षा की कामना करता है। यह मंत्र उनके अच्छे स्वास्थ्य और परिवार के कल्याण का आश्वासन देता है। यह एक स्वस्थ मानसिकता और भावनात्मक क्षमता प्रदान करता है।
यह मंत्र कलाकार के जीवन की लंबी उम्र को बढ़ाता है, उनके बीमारी और मृत्यु के भय को कम करता है। जातक के जीवन को सुख-समृद्धि से भर देता है।
मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को संतुलित रखने के साथ-साथ, महा मृत्युंजय मंत्र उपासक के स्वास्थ्य को फिर से जीवंत और पोषित करता है। किसी भी तरह की बीमारी और बुरी आदतों को दूर करके उनके तनाव को कम करता है।
भगवान शिव को हिंदू धर्म का सबसे दयालु देवता माना जाता है, उन्हें प्रसन्न करना बहुत आसान है। उन्हें प्रसन्न करने के लिए केवल उनके प्रति समर्पित होने की जरूरत है। इसके अलावा किसी भी अनुष्ठान में या मंत्र को उच्चारित करते हुए मन स्वच्छ तथा पवित्र रखें। भगवान शिव आपसे सहज ही प्रसन्न हो जाएंगे।
महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya mantra) के नियमित जाप से स्वयं भगवान शिव जातक को और उसके परिवार को सुरक्षा का आशीर्वाद देते हैं। जातक को हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा और किसी दुर्घटना में होने वाली अचानक मृत्यु से सुरक्षा मिलती है।

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